आने वाले हफ्तों में तय होंगे रेट्स
प्रस्तावना
अमेरिका और चीन के बीच व्यापार युद्ध (Trade War) पिछले एक दशक से वैश्विक अर्थव्यवस्था का अहम मुद्दा बना हुआ है। डोनाल्ड ट्रंप जब 2017 में राष्ट्रपति बने थे, तब से ही उन्होंने ‘अमेरिका फर्स्ट’ (America First) नीति के तहत विदेशी आयात पर भारी टैरिफ (आयात शुल्क) लगाने की शुरुआत की। अब एक बार फिर ट्रंप ने संकेत दिए हैं कि स्टील और सेमीकंडक्टर जैसे अहम सेक्टर्स पर नए टैरिफ लगाने की तैयारी चल रही है। उनका कहना है कि आने वाले कुछ हफ्तों में इसकी दरें तय कर दी जाएंगी।
यह खबर न केवल अमेरिका के उद्योग जगत बल्कि पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था पर असर डाल सकती है, क्योंकि स्टील और सेमीकंडक्टर दोनों ही सेक्टर वैश्विक सप्लाई चेन की रीढ़ हैं।
स्टील और सेमीकंडक्टर क्यों हैं इतने अहम?
- स्टील (Steel)
- इंफ्रास्ट्रक्चर, निर्माण, ऑटोमोबाइल और डिफेंस इंडस्ट्री की मुख्य धुरी।
- चीन दुनिया का सबसे बड़ा स्टील उत्पादक और निर्यातक है।
- अमेरिका अपनी घरेलू ज़रूरतों का एक बड़ा हिस्सा आयात से पूरा करता है।
- सेमीकंडक्टर (Semiconductors)
- मोबाइल फोन, कंप्यूटर, टीवी, कार, मेडिकल डिवाइसेज़ और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के लिए बेहद ज़रूरी।
- ताइवान, दक्षिण कोरिया और चीन बड़े निर्माता हैं।
- अमेरिका डिज़ाइन में आगे है, लेकिन मैन्युफैक्चरिंग में एशियाई देशों पर निर्भर है।
यानी अगर अमेरिका इन पर टैरिफ लगाता है तो वैश्विक सप्लाई चेन हिल सकती है।
ट्रंप का बयान – आने वाले हफ्तों में तय होंगे रेट्स
हाल ही में एक इंटरव्यू में ट्रंप ने कहा:
“हम अपने उद्योगों की रक्षा के लिए आवश्यक कदम उठाएंगे। स्टील और सेमीकंडक्टर पर आने वाले हफ्तों में टैरिफ रेट्स तय किए जाएंगे। अमेरिका को आत्मनिर्भर बनाना हमारी प्राथमिकता है।”
इस बयान से साफ है कि ट्रंप एक बार फिर अपनी प्रोटेक्शनिस्ट पॉलिसी (संरक्षणवादी नीति) पर लौट रहे हैं।
टैरिफ लगाने के पीछे कारण
- चीन पर निर्भरता कम करना – अमेरिका नहीं चाहता कि उसकी सुरक्षा और तकनीक का भविष्य चीन के हाथों में रहे।
- घरेलू उद्योग को बढ़ावा – टैरिफ लगने से अमेरिकी कंपनियों को प्रोत्साहन मिलेगा।
- रोजगार सृजन – ‘मेड इन USA’ उत्पाद बढ़ाने से रोजगार भी बढ़ सकते हैं।
- राजनीतिक कारण – ट्रंप का अगला चुनाव नज़दीक है और टैरिफ पॉलिसी से वे अपने वोट बैंक को मजबूत करना चाहते हैं।
टैरिफ का असर – कौन जीतेगा, कौन हारेगा?
1. अमेरिका
- फायदा:
- घरेलू कंपनियों को सुरक्षा मिलेगी।
- मैन्युफैक्चरिंग और स्टील प्लांट्स को राहत।
- नुकसान:
- इलेक्ट्रॉनिक्स और कार कंपनियों की लागत बढ़ेगी।
- उपभोक्ताओं को महंगे दाम पर सामान मिलेगा।
2. चीन और एशिया
- फायदा:
- सीमित, क्योंकि अमेरिका बड़ा बाज़ार है।
- नुकसान:
- निर्यात पर चोट लगेगी।
- सप्लाई चेन पर दबाव बढ़ेगा।
3. भारत
- फायदा:
- भारत अमेरिका को स्टील का एक अहम निर्यातक है।
- चीन पर प्रतिबंध से भारत को एक्सपोर्ट का अवसर मिलेगा।
- नुकसान:
- सेमीकंडक्टर सप्लाई चेन में दिक्कत होने से भारत के इलेक्ट्रॉनिक्स और ऑटो सेक्टर प्रभावित होंगे।
सेमीकंडक्टर पर टैरिफ का खतरा
सेमीकंडक्टर इंडस्ट्री पहले से ही चिप शॉर्टेज से जूझ रही है। अगर अमेरिका टैरिफ लगाता है, तो:
- लैपटॉप, स्मार्टफोन, टीवी और इलेक्ट्रिक व्हीकल महंगे हो जाएंगे।
- आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और 5G टेक्नोलॉजी की प्रगति धीमी हो सकती है।
- भारत और यूरोप जैसे देशों को भी झटका लगेगा, क्योंकि वे अमेरिकी और एशियाई चिप्स पर निर्भर हैं।
वैश्विक बाज़ार पर प्रभाव
- शेयर मार्केट – इस खबर के बाद एशियाई और अमेरिकी स्टॉक मार्केट में उतार-चढ़ाव देखा जा सकता है।
- कमोडिटी प्राइस – स्टील की कीमतें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बढ़ सकती हैं।
- टेक सेक्टर – एप्पल, इंटेल, एनविडिया जैसी कंपनियों की वैल्यूएशन प्रभावित हो सकती है।
क्या भारत को मिलेगा फायदा?
भारत के लिए यह स्थिति चुनौती और अवसर दोनों है।
- अवसर:
- अमेरिका को स्टील निर्यात बढ़ाने का मौका।
- भारत सरकार सेमीकंडक्टर फैब्स स्थापित करने की योजना पर काम कर रही है, जिसे बढ़ावा मिलेगा।
- चुनौती:
- अभी भारत की सेमीकंडक्टर इंडस्ट्री शुरुआती चरण में है।
- इलेक्ट्रॉनिक्स और मोबाइल मैन्युफैक्चरिंग की लागत बढ़ सकती है।
विशेषज्ञों की राय
- अर्थशास्त्री मानते हैं कि यह फैसला अमेरिका की घरेलू राजनीति से ज्यादा जुड़ा है, लेकिन वैश्विक व्यापार को गहरा झटका देगा।
- इंडस्ट्री एक्सपर्ट्स का मानना है कि आने वाले महीनों में इलेक्ट्रॉनिक प्रोडक्ट्स और कार की कीमतें बढ़ेंगी।
- भारतीय उद्योग जगत मानता है कि भारत अगर सही रणनीति बनाए तो यह उसके लिए ‘मेक इन इंडिया’ का सुनहरा अवसर हो सकता है।
निष्कर्ष
डोनाल्ड ट्रंप का यह ऐलान कि स्टील और सेमीकंडक्टर पर टैरिफ लगाने की तैयारी चल रही है, आने वाले समय में वैश्विक अर्थव्यवस्था, सप्लाई चेन और उपभोक्ताओं की जेब पर गहरा असर डाल सकता है।
जहां अमेरिका अपने घरेलू उद्योग को बचाने की कोशिश कर रहा है, वहीं चीन और अन्य एशियाई देश दबाव महसूस करेंगे। भारत जैसे देशों के लिए यह समय अपनी औद्योगिक क्षमता और आत्मनिर्भरता को साबित करने का है।
अगले कुछ हफ्तों में जब टैरिफ दरें तय होंगी, तब यह साफ होगा कि वैश्विक व्यापार का नया समीकरण किस दिशा में जाएगा।