Trump Tariff India Russia Relationship / टैरिफ के चक्कर में रह गए ट्रंप, रूस से मिलकर भारत ने दिया दोहरा झटका
अंतरराष्ट्रीय राजनीति और वैश्विक व्यापार में शक्ति-संतुलन लगातार बदल रहा है। अमेरिका लंबे समय से वैश्विक आर्थिक व्यवस्था को अपने हितों के अनुरूप ढालने की कोशिश करता रहा है। डोनाल्ड ट्रंप के कार्यकाल में इस नीति को और अधिक आक्रामक रूप मिला, जहाँ उन्होंने “अमेरिका फर्स्ट” का नारा देकर कई देशों पर टैरिफ लगाए और व्यापारिक दबाव बढ़ाया।
लेकिन इस रणनीति का असर उल्टा पड़ा। भारत, जिसे अमेरिका अपने बड़े बाजार के रूप में देखता है, ने रूस के साथ ऊर्जा और रक्षा क्षेत्र में सहयोग बढ़ाकर ऐसा कदम उठाया है जिसे अमेरिका के लिए दोहरा झटका कहा जा सकता है।
टैरिफ की राजनीति और ट्रंप
ट्रंप प्रशासन ने वैश्विक व्यापार को टैरिफ की जंजीरों में बांधने की कोशिश की।
- चीन के साथ ट्रेड वॉर छेड़ा गया।
- यूरोपीय देशों पर भी दबाव बनाया गया।
- भारत से Generalized System of Preferences (GSP) का दर्जा वापस ले लिया गया।
अमेरिका का उद्देश्य साफ था – विदेशी कंपनियों और सरकारों को टैरिफ के माध्यम से बाध्य करना ताकि वे अमेरिकी उत्पादों और सेवाओं को ज्यादा से ज्यादा खरीदें। लेकिन भारत ने स्पष्ट कर दिया कि उसकी नीतियां केवल वाशिंगटन की प्राथमिकताओं पर आधारित नहीं होंगी। Trump Tariff India Russia
भारत-रूस संबंधों की मजबूती
भारत और रूस के संबंध दशकों से रणनीतिक और गहरे रहे हैं। रक्षा सौदे, ऊर्जा सहयोग और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर पारस्परिक समर्थन इसकी नींव रहे हैं।
- भारत ने रूस से S-400 एयर डिफेंस सिस्टम खरीदने का निर्णय लिया, जबकि अमेरिका लगातार इस पर आपत्ति जताता रहा।
- ऊर्जा क्षेत्र में भी भारत ने रूस के साथ दीर्घकालिक समझौते किए, जिससे भारत को स्थायी और सस्ता स्रोत प्राप्त हो सके।
ये दोनों कदम अमेरिका के लिए असहज स्थिति पैदा करने वाले हैं।
अमेरिका को दोहरा झटका कैसे लगा?
- रक्षा क्षेत्र में नुकसान – भारत दुनिया का बड़ा रक्षा बाजार है। अमेरिका चाहता था कि भारत उसकी रक्षा तकनीक खरीदे, लेकिन भारत ने रूस पर भरोसा जताया।
- ऊर्जा क्षेत्र में संतुलन – अमेरिका अपने शेल गैस और तेल निर्यात को बढ़ावा देना चाहता था। भारत की रूसी ऊर्जा स्रोतों की ओर झुकाव ने इस योजना को कमजोर किया।
यानी अमेरिका न केवल अपने आर्थिक हितों से वंचित हुआ, बल्कि उसकी रणनीतिक विश्वसनीयता पर भी सवाल खड़े हुए।
रणनीतिक संतुलन की भारतीय नीति
भारत की विदेश नीति का मूल मंत्र हमेशा से “रणनीतिक स्वायत्तता” रहा है।
- अमेरिका से तकनीक और आईटी सहयोग
- रूस से ऊर्जा और रक्षा समझौते
- यूरोप, जापान और मध्य-पूर्व से व्यापारिक रिश्ते
भारत ने यह स्पष्ट कर दिया है कि वह किसी एक ध्रुव पर निर्भर नहीं रहेगा। यही कारण है कि अमेरिका की टैरिफ पॉलिसी भारत को प्रभावित करने में असफल रही।
वैश्विक शक्ति-संतुलन पर असर
भारत-रूस सहयोग का असर सिर्फ द्विपक्षीय संबंधों तक सीमित नहीं है।
- यह वैश्विक मंच पर एक संकेत है कि अमेरिका का वर्चस्व अब चुनौती के घेरे में है।
- एशिया और यूरोप में शक्ति-संतुलन का नया समीकरण बन रहा है।
- भारत जैसे उभरते राष्ट्र स्वतंत्र नीति से आगे बढ़ रहे हैं।
भारत के लिए लाभ
- ऊर्जा सुरक्षा – रूस से सस्ती और विश्वसनीय आपूर्ति।
- रक्षा मजबूती – S-400 जैसी उन्नत तकनीक से वायु सुरक्षा।
- राजनयिक प्रतिष्ठा – अमेरिका के दबाव के बावजूद स्वतंत्र नीति अपनाना।
- संतुलित कूटनीति – पूर्व और पश्चिम दोनों से संबंध बनाए रखना।
अमेरिका के लिए नुकसान
- भारत जैसा बड़ा उपभोक्ता बाजार खोना।
- अरबों डॉलर के रक्षा सौदों का हाथ से निकलना।
- रूस-भारत निकटता से अमेरिकी रणनीति का कमजोर होना।
- ट्रंप प्रशासन की “अमेरिका फर्स्ट” नीति पर सवाल उठना।
अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया
- अमेरिकी मीडिया – इसे भारत के झुकाव के रूप में देखता है।
- भारतीय दृष्टिकोण – यह रणनीतिक संतुलन की नीति है।
- रूस – इसे अपनी दीर्घकालिक साझेदारी की जीत मान रहा है।
FAQ
Q1. ट्रंप भारत पर टैरिफ क्यों लगाते हैं?
👉 ताकि अमेरिकी निर्यात को बढ़ावा मिल सके और भारत से ज्यादा अमेरिकी उत्पाद खरीदे जाएं।
Q2. भारत ने रूस से कौन-कौन से समझौते किए हैं?
👉 ऊर्जा क्षेत्र में तेल-गैस की खरीद और रक्षा क्षेत्र में S-400 मिसाइल डील।
Q3. क्या इससे भारत-अमेरिका संबंध खराब होंगे?
👉 संबंध चुनौतीपूर्ण हो सकते हैं, लेकिन भारत संतुलित कूटनीति अपनाता है।
Q4. क्या भारत रूस की ओर झुक रहा है?
👉 नहीं, भारत अपनी रणनीतिक स्वतंत्रता बनाए हुए है और दोनों ध्रुवों के साथ संबंध रखता है।
Q5. इस स्थिति से वैश्विक राजनीति पर क्या असर होगा?
👉 अमेरिका का दबदबा घटेगा और बहुध्रुवीय विश्व व्यवस्था मजबूत होगी।
निष्कर्ष
भारत ने रूस के साथ सहयोग करके यह संदेश दिया है कि उसकी विदेश नीति स्वतंत्र है और वह किसी दबाव में झुकने वाला नहीं है। अमेरिका का टैरिफ हथियार भारत को प्रभावित करने में असफल रहा है।
यह कदम न केवल भारत की ऊर्जा और रक्षा सुरक्षा को मजबूत करता है, बल्कि वैश्विक राजनीति में उसकी स्थिति को और ऊँचा करता है।
टैरिफ के चक्कर में ट्रंप वहीं रह गए, और भारत ने रूस से साझेदारी करके अमेरिका को स्पष्ट संकेत दे दिया कि 21वीं सदी की राजनीति अब बहुध्रुवीय ही होगी। Trump Tariff India Russia