Sheetal Devi Archery Champion / शीतल देवी ने रचा इतिहास: 18 साल की उम्र में पैरा विश्व तीरंदाजी चैंपियन बनीं
भारत में खेलों की दुनिया में कई नामी खिलाड़ी हैं जिन्होंने अपने अद्वितीय प्रदर्शन से देश का नाम रोशन किया है। लेकिन जब बात आती है साहस, संघर्ष और समर्पण की, तो शीतल देवी का नाम विशेष रूप से लिया जाता है। शीतल ने महज 18 साल की उम्र में बिना हाथों के पैरा विश्व तीरंदाजी चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीतकर इतिहास रच दिया। यह उपलब्धि न केवल उनके लिए, बल्कि समूचे भारत के लिए गर्व का विषय है।
शीतल देवी का प्रारंभिक जीवन
शीतल देवी का जन्म 10 जनवरी 2007 को जम्मू और कश्मीर के किश्तवाड़ जिले के लोइधर गांव में हुआ। वे एक दुर्लभ चिकित्सा स्थिति फोकॉमीलिया (phocomelia) के कारण बिना हाथों के पैदा हुईं। लेकिन इस शारीरिक कमी ने उन्हें कभी भी अपनी मंजिल की ओर बढ़ने से नहीं रोका। शीतल के लिए जीवन की चुनौतियाँ एक अवसर बन गईं, और उन्होंने अपने पैरों और ठुड्डी का उपयोग करके तीरंदाजी में महारत हासिल की।
भारतीय सेना का समर्थन
2019 में किश्तवाड़ में एक युवा कार्यक्रम के दौरान भारतीय सेना की राष्ट्रीय राइफल्स इकाई ने शीतल को देखा और उनकी प्रतिभा को पहचाना। इसके बाद सेना ने न केवल उनकी शिक्षा में सहायता की, बल्कि चिकित्सा सहायता भी प्रदान की। इस समर्थन ने शीतल को अपने सपनों को साकार करने में मदद की और उन्हें एक मजबूत मंच प्रदान किया।
पैरा विश्व तीरंदाजी चैंपियनशिप 2025: ऐतिहासिक जीत
स्थान: ग्वांगजू, दक्षिण कोरिया
तिथि: 27 सितंबर 2025
पैरा विश्व तीरंदाजी चैंपियनशिप में शीतल देवी ने तुर्किये की ओजनूर क्यूर गिर्डी, जो विश्व नंबर 1 खिलाड़ी हैं, को 146-143 से हराकर महिला कंपाउंड व्यक्तिगत वर्ग में स्वर्ण पदक जीता। यह उनकी पहली विश्व चैंपियनशिप जीत नहीं थी; इससे पहले भी उन्होंने मिश्रित टीम स्पर्धा में कांस्य और महिला टीम स्पर्धा में रजत पदक जीते थे।
शीतल का तीरंदाजी में योगदान
शीतल देवी ने तीरंदाजी की दुनिया में कई रिकॉर्ड बनाए हैं। वे 2024 पैरालंपिक में मिश्रित टीम कंपाउंड स्पर्धा में कांस्य पदक जीतने वाली सबसे कम उम्र की भारतीय खिलाड़ी बनीं। इसके अलावा, उन्होंने एशियाई पैरा खेलों में भी स्वर्ण पदक जीते हैं।
उनकी विशेषता यह है कि वे बिना हाथों के होने के बावजूद अपने पैरों और ठुड्डी का उपयोग करके तीरंदाजी करती हैं। यह उनकी अद्वितीयता और समर्पण को दर्शाता है।
शीतल देवी का संदेश
शीतल देवी का कहना है, “मेरे लिए तीरंदाजी केवल एक खेल नहीं है, बल्कि यह मेरे आत्मविश्वास और संघर्ष की कहानी है। मैं चाहती हूँ कि मेरी सफलता दूसरों के लिए प्रेरणा बने, खासकर उन लोगों के लिए जो शारीरिक चुनौतियों का सामना कर रहे हैं।”
उनकी यह सोच न केवल खेल जगत में, बल्कि समाज में भी सकारात्मक बदलाव की ओर एक कदम है।
निष्कर्ष
शीतल देवी की उपलब्धियाँ यह सिद्ध करती हैं कि शारीरिक सीमाएँ केवल मानसिक बाधाएँ होती हैं। उन्होंने अपनी मेहनत, समर्पण और संघर्ष से यह साबित किया कि यदि इरादा मजबूत हो, तो कोई भी मुश्किल बड़ी नहीं होती। उनकी यह कहानी न केवल भारतीय खेलों के इतिहास में स्वर्णाक्षरों में लिखी जाएगी, बल्कि यह आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनेगी। Sheetal Devi Archery Champion
FAQs
Q1: शीतल देवी ने कब और कहां पैरा विश्व तीरंदाजी चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीता?
A1: शीतल देवी ने 27 सितंबर 2025 को ग्वांगजू, दक्षिण कोरिया में पैरा विश्व तीरंदाजी चैंपियनशिप में महिला कंपाउंड व्यक्तिगत वर्ग में स्वर्ण पदक जीता।
Q2: शीतल देवी ने तीरंदाजी में कब से प्रशिक्षण शुरू किया?
A2: शीतल देवी ने 2019 में भारतीय सेना की सहायता से तीरंदाजी में प्रशिक्षण शुरू किया।
Q3: शीतल देवी की प्रमुख उपलब्धियाँ क्या हैं?
A3: शीतल देवी ने 2024 पैरालंपिक में मिश्रित टीम कंपाउंड स्पर्धा में कांस्य पदक, एशियाई पैरा खेलों में स्वर्ण पदक, और 2025 पैरा विश्व तीरंदाजी चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीते हैं।
Q4: शीतल देवी का जन्म कब और कहां हुआ था?
A4: शीतल देवी का जन्म 10 जनवरी 2007 को जम्मू और कश्मीर के किश्तवाड़ जिले के लोइधर गांव में हुआ।
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