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शरद पूर्णिमा 2025: पूजा, तिथि, महत्व और स्वास्थ्य लाभ

On: October 6, 2025 7:01 PM
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Sharad Purnima 2025 Hindi
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Sharad Purnima 2025 Hindi / शरद पूर्णिमा 2025: पूजा, तिथि, महत्व और स्वास्थ्य लाभ शरद पूर्णिमा 2025: आध्यात्मिक, सांस्कृतिक और स्वास्थ्य लाभ

भारत में त्योहार सिर्फ़ खुशियों का माध्यम नहीं, बल्कि संस्कृति, परंपरा और प्राकृतिक घटनाओं का प्रतीक भी होते हैं। उनमें से एक अनोखा और महत्वपूर्ण पर्व है शरद पूर्णिमा। यह पर्व धार्मिक, सांस्कृतिक, स्वास्थ्य और खगोल विज्ञान के दृष्टिकोण से अद्वितीय है।

सन 2025 में शरद पूर्णिमा 6 अक्टूबर 2025, सोमवार को मनाई जाएगी। इस दिन चंद्रमा की पूर्ण रोशनी रातभर फैलती है और भक्त इसे विशेष श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाते हैं।Sharad Purnima 2025 Hindi


शरद पूर्णिमा: परिचय और धार्मिक महत्ता

शरद पूर्णिमा को कृष्ण पूर्णिमा के रूप में भी जाना जाता है। हिन्दू पंचांग के अनुसार, यह शरद ऋतु की पूर्णिमा को आती है।

  • इस दिन चंद्रमा की रोशनी अत्यंत चमकदार होती है।
  • कहा जाता है कि चंद्रमा की किरणों में औषधीय और अमृतमय गुण होते हैं।
  • किसान अपने अनाज और फसल को रातभर चंद्रमा की रोशनी में रखते हैं।

शरद पूर्णिमा 2025 की तिथि और समय

  • तिथि: 6 अक्टूबर 2025, सोमवार
  • पूर्णिमा का आरंभ: दोपहर 12:23 बजे
  • पूर्णिमा का समापन: अगले दिन सुबह 9:35 बजे
  • चंद्रमा की स्थिति: मीन राशि में गोचर
  • चंद्रमा का उदय: शाम 5:27 बजे

धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व

भगवान कृष्ण से जुड़ा पर्व

  • शरद पूर्णिमा को भगवान कृष्ण की रासलीला के रूप में याद किया जाता है।
  • इस दिन रात्रि जागरण, भजन और कीर्तन से आध्यात्मिक उन्नति होती है।

देवी लक्ष्मी की कृपा

  • शरद पूर्णिमा पर देवी लक्ष्मी की विशेष कृपा प्राप्त होती है।
  • घर की साफ-सफाई, दीपक जलाना और लक्ष्मी पूजन करना शुभ माना जाता है।
  • व्रती इस रात दूध, मिठाई और फलों का भोग अर्पित करते हैं।

स्वास्थ्य और आयुर्वेदिक दृष्टिकोण

  • चंद्रमा की रोशनी में रखा दूध औषधीय गुणों से भरपूर माना जाता है।
  • इसे पीने से शरीर में ऊर्जा, रोग प्रतिरोधक क्षमता और मानसिक संतुलन बढ़ता है।
  • चंद्रमा की रोशनी में मेडिटेशन और योग करने से मानसिक शांति प्राप्त होती है।

पूजा पद्धति और परंपराएँ

दूध और मिठाई का भोग

  • खीर और दूध को रातभर चंद्रमा की रोशनी में रखा जाता है।
  • अगले दिन इसे ग्रहण करने से स्वास्थ्य और मानसिक लाभ होते हैं।

रात्रि जागरण और भजन

  • भक्त मंदिरों और घरों में देर रात तक भजन, कीर्तन और मंत्र जाप करते हैं।
  • यह पवित्र रात आध्यात्मिक उन्नति का अवसर देती है।

रासलीला का आयोजन

  • कई स्थानों पर रासलीला का आयोजन होता है।
  • यह सांस्कृतिक और सामूहिक भक्ति का प्रतीक है।

अनाज और फसलों का संरक्षण

  • किसान अपने अनाज और धान को रातभर चंद्रमा की रोशनी में रखते हैं।
  • ऐसा करने से फसल सुरक्षित और भरपूर होती है।

शरद पूर्णिमा और खगोल विज्ञान

  • इस रात चंद्रमा पूर्णिमा पर रहता है, यानी पृथ्वी और सूर्य के विपरीत स्थिति में।
  • चंद्रमा की रोशनी अधिक चमकदार होती है और आकाश की सुंदरता अद्भुत दिखाई देती है।
  • शरद ऋतु की रातें साफ और स्वच्छ होती हैं, जिससे खगोल अवलोकन के लिए यह रात उत्तम मानी जाती है।

व्रत और उपाय

व्रत और उपवास

  • कई भक्त इस दिन केवल फल, दूध और हल्की भोजन सामग्री ग्रहण करते हैं।
  • उपवास से मानसिक और शारीरिक शांति दोनों में लाभ होता है।

पूजा सामग्री

  • दीपक, फूल, धूप, दूध, खीर और सफेद वस्त्र।
  • घर और मंदिर की साफ-सफाई और सजावट।

मंत्र और भजन

  • इस रात “ॐ श्रीं ह्लीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद” मंत्र का जाप प्रभावशाली माना जाता है।
  • रासलीला गीत, कृष्ण भजन और देवी लक्ष्मी स्तुति का महत्व।

लोक मान्यताएँ

  • चंद्रमा की किरणें अमृतमयी होती हैं।
  • दूध और अनाज चंद्रमा की रोशनी में रखने से स्वास्थ्य लाभ होता है।
  • परिवार में सुख-शांति और धन-समृद्धि आती है।
  • रात्रि जागरण से बुरे विचार दूर होते हैं और मानसिक शांति मिलती है।

स्वास्थ्य लाभ

  • रातभर चंद्रमा की रोशनी में रखा खीर स्वास्थ्य और मानसिक शांति का माध्यम है।
  • आयुर्वेदिक दृष्टि से, शरद ऋतु में यह शरीर के वात और रक्त संतुलन के लिए लाभकारी है।
  • हल्के योग और ध्यान के माध्यम से मानसिक शांति और ऊर्जा प्राप्त होती है।

बच्चों और परिवार के लिए महत्व

  • बच्चों को दूध और मेवा देकर उनकी सेहत और ऊर्जा बढ़ाई जाती है।
  • परिवार के साथ रात्रि जागरण और भजन से सामूहिक भक्ति का अनुभव होता है।
  • यह सामाजिक और पारिवारिक मेलजोल को भी बढ़ाता है।

पर्यावरण और प्रकृति

  • रातभर दीपक जलाने और खुले में पूजा करने से प्राकृतिक ऊर्जा का अनुभव होता है।
  • स्पष्ट आकाश में चंद्रमा का निरीक्षण खगोल विज्ञान के प्रति रुचि बढ़ाता है।
  • पर्यावरण मित्र आयोजन और प्रदूषण मुक्त उत्सव की परंपरा बढ़ रही है।

सारांश

शरद पूर्णिमा 2025 का पर्व 6 अक्टूबर 2025 को मनाया जाएगा। यह धार्मिक, सांस्कृतिक, स्वास्थ्य और खगोल विज्ञान के दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है। इस दिन:

  • दूध, खीर और मेवे का भोग करें।
  • रात्रि जागरण, भजन और कीर्तन करें।
  • चंद्रमा को अर्घ्य दें और परिवार के साथ उत्सव मनाएं।
  • योग और ध्यान के माध्यम से मानसिक शांति प्राप्त करें।

शरद पूर्णिमा केवल एक त्योहार नहीं, बल्कि सांस्कृतिक, आध्यात्मिक और स्वास्थ्य समृद्धि का प्रतीक है।

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A. Kumar

मेरा नाम अजीत कुमार है। मैं एक कंटेंट क्रिएटर और ब्लॉगर हूँ, जिसे लिखने और नई-नई जानकारियाँ शेयर करने का शौक है। इस वेबसाइट पर मैं आपको ताज़ा खबरें, मोटिवेशनल आर्टिकल्स, टेक्नोलॉजी, एजुकेशन, हेल्थ और लाइफस्टाइल से जुड़ी उपयोगी जानकारी सरल भाषा में उपलब्ध कराता हूँ।

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