Russia China India Alliance Hindi: डोनाल्ड ट्रंप के टैरिफ बढ़ाने के बाद रूस, भारत और चीन क्यों आ रहे हैं करीब?अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के टैरिफ बढ़ाने के बाद से रूस, भारत और चीन एक दूसरे के करीब आ रहे हैं
दुनिया की राजनीति और अर्थव्यवस्था हमेशा बदलती रहती है। जब भी कोई बड़ा देश अपनी नीतियों में बदलाव करता है, उसका असर बाकी देशों पर भी पड़ता है। ऐसा ही कुछ हुआ था जब अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने टैरिफ यानी आयात शुल्क बढ़ाने का फैसला लिया।
ट्रंप प्रशासन की इस नीति ने वैश्विक व्यापार में हलचल मचा दी। खासकर रूस, भारत और चीन जैसे बड़े देशों ने महसूस किया कि अगर अमेरिका पर ज्यादा निर्भर रहेंगे, तो उनकी अर्थव्यवस्था पर बड़ा असर पड़ेगा। इसी वजह से इन तीनों देशों ने आपस में सहयोग बढ़ाना शुरू किया और आज वे कई मोर्चों पर एक-दूसरे के और करीब आते दिख रहे हैं।
आइए विस्तार से समझते हैं कि ट्रंप की टैरिफ नीति के बाद क्यों और कैसे रूस, भारत और चीन (RIC) के रिश्ते मजबूत हुए।
टैरिफ क्या होता है और ट्रंप ने क्यों बढ़ाया?
टैरिफ का मतलब है किसी भी वस्तु या सामान पर लगाया जाने वाला आयात शुल्क। जब एक देश दूसरे देश से माल खरीदता है तो सरकार उस पर टैक्स लगाती है। इसे ही टैरिफ कहते हैं।
- ट्रंप का मानना था कि अमेरिका में विदेशी सामान ज्यादा आ रहा है, जिससे अमेरिकी कंपनियों को नुकसान हो रहा है।
- उन्होंने चीन, भारत और अन्य देशों से आने वाले सामान पर भारी शुल्क लगा दिया।
- इससे अमेरिकी बाजार में विदेशी सामान महंगा हो गया और वहां की कंपनियों को थोड़ी राहत मिली।
लेकिन इस फैसले से अंतरराष्ट्रीय व्यापारिक रिश्ते बिगड़ने लगे और कई देशों ने नए विकल्प तलाशने शुरू किए।
अमेरिका की “अमेरिका फर्स्ट” नीति का असर
डोनाल्ड ट्रंप हमेशा कहते थे – “America First” यानी अमेरिका की प्राथमिकता पहले।
उनकी इस सोच का असर इन बिंदुओं पर पड़ा:
- चीन के साथ ट्रेड वॉर – ट्रंप ने चीन से आने वाले अरबों डॉलर के सामान पर टैरिफ लगाया।
- भारत पर दबाव – भारत से निर्यात होने वाले स्टील, एल्युमिनियम और अन्य सामान पर भी शुल्क बढ़ा दिया गया।
- रूस पर पाबंदियां – रूस पर पहले से ही पश्चिमी देशों की आर्थिक पाबंदियां थीं, लेकिन ट्रंप प्रशासन ने और दबाव बनाया।
इसका नतीजा यह हुआ कि ये तीनों देश—रूस, भारत और चीन—ने महसूस किया कि अब उन्हें आपसी सहयोग बढ़ाना ही होगा।
रूस, भारत और चीन के बीच नजदीकी बढ़ने की वजह
1. व्यापारिक विकल्प तलाशना
जब अमेरिका ने टैरिफ बढ़ाया, तो इन देशों ने आपस में व्यापार बढ़ाना शुरू किया।
- भारत ने रूस से तेल और गैस आयात बढ़ाया।
- चीन और रूस ने ऊर्जा और रक्षा क्षेत्र में नए समझौते किए।
- भारत और चीन ने कुछ क्षेत्रों में प्रतिस्पर्धा के बावजूद व्यापार में सहयोग की दिशा में कदम उठाए।
2. डॉलर पर निर्भरता कम करना
ट्रंप की नीतियों के बाद इन देशों ने सोचा कि अगर वे केवल अमेरिकी डॉलर पर निर्भर रहेंगे, तो नुकसान होगा।
इसलिए रूस, भारत और चीन ने आपस में स्थानीय मुद्रा में व्यापार करने की दिशा में काम शुरू किया।
3. अंतरराष्ट्रीय संगठनों में सहयोग
- ब्रिक्स (BRICS) – ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका का समूह, जहां ये देश आर्थिक सहयोग बढ़ा रहे हैं।
- एससीओ (SCO) – शंघाई सहयोग संगठन में भी इन देशों की साझेदारी मजबूत हुई है।
4. सुरक्षा और रक्षा क्षेत्र
अमेरिकी दबाव के कारण रूस और भारत ने रक्षा सौदों पर और मजबूती से काम करना शुरू किया।
- भारत ने रूस से S-400 मिसाइल सिस्टम खरीदा।
- चीन और रूस ने संयुक्त सैन्य अभ्यास बढ़ाए।
भारत की रणनीति: संतुलन बनाकर चलना
भारत की स्थिति थोड़ी खास रही।
- भारत, अमेरिका के साथ भी अच्छे रिश्ते चाहता है क्योंकि अमेरिका उसका बड़ा व्यापारिक और रणनीतिक साझेदार है।
- लेकिन जब ट्रंप ने आयात शुल्क बढ़ाया और भारत के निर्यात पर असर पड़ा, तो भारत ने रूस और चीन के साथ अपने रिश्ते मजबूत करने शुरू किए।
- भारत ने यह साफ किया कि वह किसी एक पक्ष पर पूरी तरह निर्भर नहीं रहेगा, बल्कि मल्टीपोलर (बहुध्रुवीय) रणनीति अपनाएगा।
चीन की रणनीति: अमेरिका का विकल्प ढूँढना
चीन और अमेरिका की ट्रेड वॉर पूरी दुनिया में चर्चा का विषय रही।
- चीन ने अमेरिका के दबाव का मुकाबला करने के लिए रूस और भारत के साथ व्यापारिक रिश्ते बढ़ाए।
- ऊर्जा क्षेत्र में चीन ने रूस से तेल और गैस आयात बढ़ाया।
- तकनीकी क्षेत्र में चीन ने भारत के साथ निवेश और उत्पादन बढ़ाने की कोशिश की।
रूस की रणनीति: एशिया की ओर झुकाव
रूस पहले से ही पश्चिमी देशों की पाबंदियों का सामना कर रहा था।
- ट्रंप की नीतियों के बाद रूस ने एशियाई देशों—खासकर भारत और चीन—के साथ रिश्ते और मजबूत किए।
- रूस ने भारत और चीन दोनों को रक्षा तकनीक और ऊर्जा संसाधनों का बड़ा सप्लायर बनने की रणनीति अपनाई।
तीनों देशों के बीच बढ़ते सहयोग के फायदे
- व्यापार में विविधता
- अब ये देश केवल अमेरिका या यूरोप पर निर्भर नहीं हैं।
- एक-दूसरे से कच्चा माल, ऊर्जा और टेक्नोलॉजी खरीद-बेच सकते हैं।
- अंतरराष्ट्रीय राजनीति में मजबूती
- अमेरिका के दबाव का मुकाबला करने के लिए इन तीनों देशों की साझेदारी एक नई शक्ति के रूप में उभर रही है।
- डॉलर से आजादी
- स्थानीय मुद्रा में व्यापार करने की दिशा में कदम बढ़ने से डॉलर पर निर्भरता कम होगी।
- नए बाजारों का निर्माण
- भारत जैसे देश को चीन और रूस के बड़े बाजारों तक पहुंच मिली।
- वहीं रूस और चीन को भारत जैसे तेजी से बढ़ते बाजार का फायदा हुआ।
भारत और अमेरिका के बीच टैरिफ विवाद
चुनौतियाँ भी कम नहीं
हालाँकि तीनों देशों के बीच सहयोग बढ़ रहा है, लेकिन कुछ चुनौतियाँ भी मौजूद हैं।
- भारत और चीन के बीच सीमा विवाद (डोकलाम, गलवान जैसी घटनाएँ)।
- रूस और चीन का रणनीतिक गठबंधन, जिससे कभी-कभी भारत असहज महसूस करता है।
- अमेरिका का दबाव, क्योंकि भारत अमेरिका के साथ भी रणनीतिक साझेदारी बनाए रखना चाहता है।
इन चुनौतियों के बावजूद तीनों देश समझ रहे हैं कि बदलते वैश्विक हालात में आपसी सहयोग ही उनका सबसे बड़ा सहारा है।
भविष्य की तस्वीर
अगर आने वाले वर्षों में अमेरिका इसी तरह अपनी “अमेरिका फर्स्ट” नीति पर चलता रहा, तो रूस, भारत और चीन की साझेदारी और भी मजबूत हो सकती है।
- ब्रिक्स जैसे संगठन दुनिया की अर्थव्यवस्था में अहम भूमिका निभा सकते हैं।
- ऊर्जा, रक्षा और तकनीक जैसे क्षेत्रों में नई साझेदारी बनेगी।
- और संभव है कि आने वाले समय में डॉलर के मुकाबले इन देशों की अपनी मुद्रा आधारित व्यापारिक प्रणाली भी और मजबूत हो जाए।
निष्कर्ष
डोनाल्ड ट्रंप द्वारा टैरिफ बढ़ाने का फैसला भले ही अमेरिका के लिए फायदेमंद माना गया हो, लेकिन इसका बड़ा असर वैश्विक राजनीति और अर्थव्यवस्था पर पड़ा।
रूस, भारत और चीन ने महसूस किया कि अकेले-अकेले अमेरिका का मुकाबला करना मुश्किल है। इसलिए उन्होंने आपसी सहयोग बढ़ाया और एक-दूसरे के करीब आ गए।
यह नजदीकी सिर्फ व्यापार तक सीमित नहीं रही, बल्कि राजनीति, रक्षा और कूटनीति के स्तर पर भी दिखने लगी।
भविष्य में यह साझेदारी दुनिया की शक्ति संतुलन को एक नई दिशा दे सकती है। Russia China India Alliance Hindi
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल
Q1. ट्रंप ने टैरिफ क्यों बढ़ाए थे?
अमेरिकी कंपनियों को बचाने और विदेशी सामान को महंगा करने के लिए।
Q2. ट्रंप की इस नीति से सबसे ज्यादा असर किस पर पड़ा?
चीन, भारत और रूस जैसे देशों पर, जो अमेरिका को बड़े पैमाने पर सामान निर्यात करते थे।
Q3. रूस, भारत और चीन करीब क्यों आए?
ताकि वे अमेरिका के दबाव और डॉलर पर निर्भरता से बच सकें और आपसी व्यापार बढ़ा सकें।
Q4. क्या भारत चीन के साथ पूरी तरह दोस्ती कर सकता है?
नहीं, सीमा विवाद के कारण दोनों देशों के बीच भरोसा पूरी तरह नहीं है, लेकिन आर्थिक सहयोग जारी है।
Q5. इस साझेदारी का भविष्य क्या है?
अगर अमेरिका दबाव बनाता रहा, तो रूस, भारत और चीन और भी मजबूत सहयोगी बन सकते हैं।
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