Parivartini Ekadashi Vrat 2025: परिवर्तिनी एकादशी व्रत 2025: तिथि, पूजा विधि, व्रत कथा और महत्व
सनातन धर्म में एकादशी व्रत का विशेष महत्व है। हर महीने आने वाली एकादशी तिथि को भगवान विष्णु की उपासना के लिए श्रेष्ठ माना गया है। एकादशी व्रत रखने से मनुष्य को पापों से मुक्ति, पुण्य फल और मोक्ष की प्राप्ति होती है। भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को परिवर्तिनी एकादशी या जलझूलनी एकादशी कहा जाता है। इसे पद्मा एकादशी और जलझूलनी ग्यारस के नाम से भी जाना जाता है।
परिवर्तिनी एकादशी 2025 में भगवान विष्णु का विशेष पूजन करने से न केवल जीवन में सकारात्मकता आती है, बल्कि विष्णु जी भक्तों के पाप हरकर उन्हें धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष की प्राप्ति कराते हैं।
परिवर्तिनी एकादशी 2025 की तिथि और शुभ मुहूर्त
- एकादशी तिथि प्रारंभ: 3 सितंबर 2025, बुधवार को सुबह 07:53 AM से
- एकादशी तिथि समाप्त: 4 सितंबर 2025, गुरुवार को सुबह 05:51 AM तक
- व्रत का दिन: 3 सितंबर 2025, बुधवार
- पारण का समय: 4 सितंबर 2025 को प्रातःकाल सूर्योदय के बाद
👉 ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, व्रत हमेशा उदयकालीन तिथि में रखा जाता है, इसलिए परिवर्तिनी एकादशी व्रत 3 सितंबर 2025, बुधवार को रखा जाएगा।
परिवर्तिनी एकादशी व्रत की पूजा विधि
- सुबह स्नान व संकल्प – व्रती को ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करना चाहिए और भगवान विष्णु व्रत का संकल्प लेना चाहिए।
- व्रत और उपवास – इस दिन दिनभर उपवास रखा जाता है। जो पूर्ण उपवास न कर सके, वह फलाहार कर सकता है।
- पूजन विधि –
- घर में स्वच्छ स्थान पर पीले वस्त्र बिछाकर भगवान विष्णु की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें।
- गंगाजल से शुद्धिकरण कर दीपक जलाएँ।
- तुलसी पत्र, पीले पुष्प, धूप, दीप, चंदन, फल और पंचामृत से भगवान विष्णु का पूजन करें।
- भगवान विष्णु को पीले वस्त्र अर्पित करना शुभ माना जाता है।
- भजन और कीर्तन – दिनभर भगवान विष्णु के नाम का स्मरण, भजन-कीर्तन और विष्णु सहस्रनाम का पाठ करें।
- रात्रि जागरण – कई जगह भक्त रात्रि में भजन-कीर्तन कर जागरण भी करते हैं।
- पारण – अगले दिन प्रातःकाल ब्राह्मण या जरूरतमंद को दान देकर, भोजन करवाकर व्रत का पारण किया जाता है।
परिवर्तिनी एकादशी व्रत कथा
पौराणिक कथा के अनुसार, त्रेता युग में बलि नामक दानव राजा ने तीनों लोकों पर अधिकार कर लिया था। देवताओं ने भगवान विष्णु से रक्षा की प्रार्थना की। तब भगवान विष्णु ने वामन अवतार लिया।
वामन देव बलि राजा के पास पहुँचे और तीन पग भूमि दान में मांगी। बलि ने वचन दे दिया। तब भगवान वामन ने अपना विराट रूप धारण कर लिया। दो पग में ही उन्होंने आकाश और पाताल को नाप लिया। तीसरे पग के लिए जब स्थान न बचा तो बलि ने अपना सिर झुका दिया।
भगवान विष्णु प्रसन्न हुए और उन्हें पाताल लोक का राजा बना दिया। साथ ही वचन दिया कि वे स्वयं पाताल में निवास करेंगे। कथा के अनुसार, परिवर्तिनी एकादशी के दिन ही भगवान विष्णु शयनावस्था में करवट बदलते हैं। इसी कारण इसे परिवर्तिनी एकादशी कहा जाता है। Parivartini Ekadashi Vrat 2025
परिवर्तिनी एकादशी का महत्व
- यह दिन भगवान विष्णु के चार मास के चातुर्मास शयन काल में करवट बदलने का दिन माना जाता है।
- इस व्रत को रखने से घर में सुख-समृद्धि आती है।
- संतान की प्राप्ति की इच्छा रखने वाले दंपत्ति को विशेष रूप से इस व्रत का पालन करना चाहिए।
- विष्णु पुराण के अनुसार, इस दिन व्रत करने वाला हर तरह के पापों से मुक्त होकर मोक्ष प्राप्त करता है।
- यह व्रत मानसिक शांति और सकारात्मकता प्रदान करता है।
परिवर्तिनी एकादशी पर क्या करें और क्या न करें
✔ क्या करें
- सुबह जल्दी उठकर स्नान व ध्यान करें।
- उपवास करें और पूरे दिन भगवान विष्णु का ध्यान करें।
- ब्राह्मणों और जरूरतमंदों को दान दें।
- तुलसी पत्र अवश्य अर्पित करें।
❌ क्या न करें
- इस दिन झूठ बोलना, विवाद करना और क्रोध करना वर्जित है।
- मांस, शराब और तामसिक भोजन का सेवन न करें।
- दूसरों को कष्ट पहुँचाना पाप माना जाता है।
- रात्रि में अधिक नींद लेने से बचें।
परिवर्तिनी एकादशी 2025 का विशेष संयोग
इस वर्ष परिवर्तिनी एकादशी बुधवार को पड़ रही है। बुधवार का दिन स्वयं भगवान विष्णु और गणपति का प्रिय दिन माना जाता है। ऐसे में इस दिन व्रत का फल और भी अधिक शुभकारी होगा।
परिवर्तिनी एकादशी का फल
- इस व्रत से सभी प्रकार के पाप नष्ट होते हैं।
- जीवन में नई ऊर्जा और सकारात्मकता आती है।
- घर-परिवार में सुख-समृद्धि का वास होता है।
- यह व्रत पूर्वजों को तृप्त करता है और पितरों की आत्मा को शांति प्रदान करता है।
- मोक्ष की प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त होता है।
परिवर्तिनी एकादशी 2025 का व्रत 3 सितंबर 2025, बुधवार को रखा जाएगा। इस दिन भगवान विष्णु का पूजन कर व्रत रखने से सभी दुख दूर होते हैं और जीवन में सुख-शांति आती है। यह व्रत न केवल धर्मिक दृष्टि से श्रेष्ठ है बल्कि व्यक्ति के आत्मिक उत्थान का भी साधन है। Parivartini Ekadashi Vrat 2025