राहुल-तेजस्वी के मंच पर फिर नहीं मिली पप्पू यादव को जगह, सड़क पर कुर्सी लगाकर सुनी सभा – क्या है वजह?
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के पृष्ठभूमि में विपक्षी महागठबंधन की ‘वोटर अधिकार यात्रा’ महत्त्वपूर्ण राजनीतिक अभियान रहा है। इस यात्रा के दौरान, पटना में महागठबंधन के मुख्य सभा स्थल पर—जहाँ राहुल गांधी और तेजस्वी यादव मंच से संबोधित कर रहे थे—जन-अधिकार पार्टी (JAP) के संस्थापक और पूर्व RJD नेता पप्पू यादव को मंच पर जगह नहीं दी गई। इसके बावजूद उन्होंने सड़क किनारे कुर्सी लगाकर समर्थकों के बीच बैठकर भाषण सुना। इस घटना ने महागठबंधन की एकजुटता, अनुशासन और आंतरिक राजनैतिक संतुलन पर कई सवाल खड़े कर दिए।
घटना का सारांश
पटना में ‘वोट अधिकार यात्रा’ के समापन समारोह में राहुल गांधी और तेजस्वी यादव मुख्य वक्ता थे। सभा स्थल पर कई विपक्षी नेताओं को मंच पर जगह मिली, पर पप्पू यादव और कन्हैया कुमार को मंच पर जगह नहीं दी गई। इस दौरान पप्पू यादव सड़क किनारे कुर्सी लगाकर सभा सुनते रहे—जिसका वीडियो सोशल मीडिया में तेजी से वायरल हुआ। जनता-बीच बैठे उनके दृश्यमान रूप ने मीडिया और राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी।
पृष्ठभूमि: पप्पू यादव कौन हैं?
राजेश रंजन, लोकप्रिय नाम पप्पू यादव, बिहार के पूर्णिया सांसद हैं, कभी RJD से जुड़े, फिर जन-अधिकार पार्टी चलाने के बाद 2024 में कांग्रेस में शामिल हुए। राजनीति में उनकी छवि “सीधी जुबान, मध्यमवर्ग-दलितों की आवाज़” के रूप में रही है। उनकी सक्रियता और जन-संवेदना को देखते हुए, कांग्रेस-RJD गठबंधन में उन्हें प्रमुख रूप से शामिल किया जाना अपेक्षित था।
क्यों न मिले मंच पर जगह? संभावित कारण
1. सुरक्षा-प्रोटोकॉल और सूची
घटना के समय सुरक्षा कारणों के चलते मंच पर चढ़ने वालों की एक सूची बनाई गई थी। इसमें पप्पू यादव का नाम न होने की बात कही गई। उन्होंने खुद माना कि यह व्यक्तिगत अपमान नहीं, बल्कि सूची का हिस्सा था।
2. अंतर-दलिय संतुलन
महागठबंधन में कांग्रेस-RJD-CPI(ML)-JAP जैसी पार्टियों के बीच सीट और पद का संतुलन महत्वपूर्ण होता है। मंच पर कई नेताओं को शामिल करना गठबंधन-मैनेजमेंट की नाज़ुक प्रक्रिया है, जिससे कई बार छोटे-मोटे नेता पीछे रह जाते हैं।
3. राजनीतिक अभियान का स्वरूप
राहुल और तेजस्वी यात्रा को “लोकतंत्र बचाओ” अभियान बना रहे थे। हो सकता है कि पप्पू यादव को अधिक व्यक्तिगत रूप से दिखाना अभियान की “इमेज मैनेजमेंट” टीम की योजना में न था। इससे यह संदेश गया कि कुछ नेता मंच-समूह से बाहर भी रह सकते हैं।
पप्पू यादव का व्यवहार और प्रतिक्रिया
- पप्पू यादव ने मीडिया से कहा: मुझे मंच-सूची में नाम नहीं था। मैं मंच पर चढ़ना ही नहीं चाहता था, बस यह देखना चाहता था कि राहुल ठीक से मंच पर पहुंचे या नहीं। उन पर कोई नाराज़ नहीं हूँ।
- घायल होने तक की बात आई—उन्होंने कहा कि दौड़ते समय सुरक्षाकर्मियों से धक्का-मुक्की हुई और हल्की चोट लग गई, पर इसे अपमान समझना गलत है।
- भावनात्मक बयान: “जनता से बड़ा कुछ नहीं है। चाहे लाख बार अपमानित होना पड़े, जनता के लिए खड़ा रहना सम्मान की बात है।” उन्होंने अपने जीवन-कार्य को इसी आधार पर स्थापित बताया। Pappu Yadav Denied Stage
राजनीतिक और सामाजिक प्रभाव
विपक्ष की एकजुटता पर सवाल
महागठबंधन ने “एक मंच से” वोट-अधिकार की बात की—लेकिन पप्पू यादव जैसे घटक दल की उपेक्षा ने यह संदेश भी दिया कि गठबंधन में “एक-एक नेता की उपस्थिति” जरूरी नहीं मानी जाती। इससे आंतरिक संतुलन पर सवाल उठने लगे।
समर्थकों की नाराज़गी
पप्पू यादव के समर्थकों में यह घटना अपमान की तरह देखी गई। सोशल प्लेटफॉर्म्स पर उनका समर्थन और गुस्सा दिखा। कई जगह यह भी कहा गया कि अभियान “नरेंद्र मोदी-अतिगठबंधन” बन रहा है, जबकि असल मुद्दा वोट-अधिकार है।
मीडिया की प्रतिक्रिया
समाचार चैनलों और सोशल मीडिया ने इस घटना को बड़े पैमाने पर दिखाया और पीड़ादायक रूप से यह घटना वायरल हुई। समाचारपत्रों ने इसे “पप्पू यादव की बेइज्जती” लिखा और राजनीतिक समीक्षकों ने कहा कि यह संयोजन में कमी दर्शाता है।
संगठनात्मक संदेश
इस घटना ने कांग्रेस-RJD-JAP को दो संदेश दिए:
- गठबंधन को और संगठित और समावेशी बनाना जरूरी है।
- जन-आधारित राजनीति में व्यक्तिगत नेता की उपेक्षा से आपसी दुरी बढ़ सकती है, जिसे चुनावी नुकसान हो सकता है।
उदाहरण: जब पप्पू यादव को रथ पर नहीं चढ़ने दिया गया
इस घटना की पृष्ठभूमि में यह भी एक घटना याद आती है—जब 9 जुलाई को बिहार बंद के दौरान राहुल-तेजस्वी की रथ यात्रा में पप्पू यादव और कन्हैया कुमार को ट्रक पर चढ़ने से रोका गया था। यह दृश्य भी सोशल मीडिया में वायरल हुआ था और उस समय भी राजनीतिक विवाद खड़ा हुआ था।
पप्पू यादव ने उस समय भी कहा था कि यह ‘अपमान’ नहीं, बल्कि सुरक्षा-प्रोटोकॉल था और वे जनता-बीच काम करने में विश्वास करते हैं। उनकी यह संवेदनशील प्रतिक्रिया कांग्रेस-RJD के साथ उनके संवाद को बनाए रखने की कोशिश मानी गई।
पप्पू यादव का मंच-विहीन होना और सड़क पर कुर्सी पर बैठकर सभा सुनना, केवल धारणा की नहीं, बल्कि राजनीतिक तथ्य की तस्वीर है। यह घटना बताती है:
- संविधान-लोकतंत्र की लड़ाई में भी व्यक्तिगत नेता अलग महसूस कर सकते हैं।
- महागठबंधन के भीतर सत्ता-वितरण, पहचान-संबंध और नेतृत्व संतुलन महत्वपूर्ण है।
- जन-संवेदना और राजनीतिक अभियान के बीच सामंजस्य बनाए रखना चुनौति है।
पप्पू यादव ने यह स्पष्ट किया कि वे अपमानित नहीं हुए, क्योंकि उनका उद्देश्य जनता-सेवा और मुद्दा-आधारित राजनीति है। बावजूद इसके, यह घटना चुनावी तैयारी में गठबंधन के संगठनात्मक ढांचे की कमजोर कड़ी बनकर उभरी है। आगामी चुनावों में इसका असर कितना होगा—यह हाथों-हाथ देखा जाएगा। Pappu Yadav Denied Stage