MIG 21 Retirement News / MIG-21 रिटायरमेंट न्यूज़: भारत का सबसे पुराना फाइटर जेट आखिरकार विदाई की ओर
भारत की वायुसेना (IAF) का इतिहास जब भी लिखा जाएगा, उसमें MiG-21 का नाम स्वर्ण अक्षरों में दर्ज होगा। यह लड़ाकू विमान लगभग 6 दशकों से भारतीय आसमान की शान रहा है। लेकिन अब वक्त आ गया है जब इस दिग्गज जेट को रिटायर किया जा रहा है। हाल ही में वायुसेना ने आधिकारिक तौर पर घोषणा की कि वर्ष 2025 तक MiG-21 बेड़े को पूरी तरह से चरणबद्ध तरीके से रिटायर कर दिया जाएगा।
यह खबर भावुक इसलिए भी है क्योंकि MiG-21 ने न केवल भारत की वायुसेना को मजबूती दी, बल्कि कई ऐतिहासिक युद्धों और मिशनों में अपनी बहादुरी दिखाई। वहीं, दूसरी ओर इसे ‘फ्लाइंग कॉफिन’ और ‘विधवा बनाने वाला विमान’ जैसे विवादित नाम भी मिले, क्योंकि दशकों में हुए कई हादसों में इसकी अहम भूमिका रही।
MIG-21 का भारत में आगमन: एक ऐतिहासिक सफर
- साल 1963 में भारत ने पहली बार सोवियत संघ (USSR) से MiG-21 फाइटर जेट खरीदा।
- यह भारत का पहला सुपरसोनिक फाइटर जेट था।
- 1965 और 1971 के भारत-पाक युद्धों में इसने बेहतरीन प्रदर्शन कर भारतीय वायुसेना का कद बढ़ाया।
- भारत ने न केवल इस विमान को उड़ाया, बल्कि हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) में इसका उत्पादन भी शुरू किया।
- लगभग 872 MiG-21 विमान भारत की सेवा में शामिल हुए।
MiG-21 की तकनीकी खासियतें
- स्पीड: मैक 2 (ध्वनि की गति से दोगुनी)
- रेंज: लगभग 1,200 किलोमीटर
- हथियार: एयर-टू-एयर मिसाइल, गन, और बम कैपेबिलिटी
- भूमिका: इंटरसेप्टर, ग्राउंड अटैक और मल्टी-रोल मिशन
1960 और 70 के दशक में यह विमान दुनिया के सबसे एडवांस जेट्स में गिना जाता था।
युद्धों में MIG-21 की भूमिका
1965 का युद्ध
- पाकिस्तान के साथ युद्ध में MiG-21 ने पहली बार भारतीय वायुसेना की ताकत दिखाई।
- उस दौर में पाकिस्तान के पास अमेरिकी F-104 स्टारफाइटर था, लेकिन MiG-21 ने इसे चुनौती दी।
1971 का युद्ध
- इस युद्ध में MiG-21 भारतीय जीत का बड़ा हथियार बना।
- पाकिस्तान के कई एयरबेस और विमान इसी से तबाह किए गए।
कारगिल युद्ध (1999)
- कारगिल युद्ध में MiG-21 ने ग्राउंड अटैक मिशन में भाग लिया।
- हालांकि तब तक इसकी तकनीक पुरानी हो चुकी थी, लेकिन यह फिर भी इस्तेमाल में लाया गया।
MIG-21 और हादसों का काला सच
जहां एक ओर MiG-21 ने वायुसेना को मजबूती दी, वहीं दूसरी ओर यह हादसों के कारण लगातार विवादों में रहा।
- 1970 से अब तक 400 से ज्यादा MiG-21 हादसे दर्ज हुए।
- इन हादसों में 200 से अधिक पायलट और नागरिकों की जान गई।
- बार-बार हुए हादसों की वजह से इसे “Flying Coffin” और “Widow Maker” कहा जाने लगा।
- हाल के वर्षों में भी कई युवा पायलट इस विमान की तकनीकी खराबियों का शिकार बने।
MIG-21 को रिटायर क्यों किया जा रहा है?
- पुरानी तकनीक – यह विमान 1960 के दशक की तकनीक पर आधारित है।
- बार-बार हादसे – सुरक्षा मानकों पर खरा नहीं उतर पा रहा।
- नए विमानों का आगमन – अब वायुसेना के पास Rafale, Su-30MKI और Tejas जैसे आधुनिक विमान हैं।
- मेंटेनेंस की दिक्कतें – पुराने पार्ट्स की कमी और महंगे रिपेयर कॉस्ट।
- पायलट सुरक्षा – लगातार हादसों ने इसे रिटायर करने का दबाव बढ़ाया।
MIG-21 रिटायरमेंट टाइमलाइन
- वायुसेना ने पहले ही 2020 के बाद MiG-21 को चरणबद्ध तरीके से हटाने का ऐलान किया था।
- 2022 तक तीन स्क्वॉड्रन रिटायर किए जा चुके हैं।
- अब 2025 तक इसकी आखिरी स्क्वॉड्रन भी सेवा से बाहर हो जाएगी।
- इसके बाद भारतीय वायुसेना पूरी तरह से आधुनिक जेट्स पर निर्भर होगी।
MIG-21 की जगह कौन से विमान लेंगे?
- HAL Tejas (LCA) – स्वदेशी लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट
- Rafale – फ्रांस से आयातित आधुनिक मल्टी-रोल फाइटर
- Sukhoi Su-30MKI – पहले से ही वायुसेना की रीढ़
- AMCA (Advanced Medium Combat Aircraft) – भविष्य का भारतीय स्टील्थ फाइटर
पायलटों की प्रतिक्रिया
MiG-21 से जुड़े पायलटों की भावनाएँ मिली-जुली हैं।
- कुछ इसे “मेरा पहला प्यार” कहते हैं क्योंकि उन्होंने इसी पर उड़ान की ट्रेनिंग ली।
- वहीं, कई पायलट इसे रिटायर होते देख राहत महसूस कर रहे हैं क्योंकि नए पायलटों की सुरक्षा दांव पर लगती थी। MIG 21 Retirement News
भारत की रक्षा रणनीति पर असर
MiG-21 के रिटायर होने से भारतीय वायुसेना की क्षमता कम नहीं होगी, बल्कि और आधुनिक होगी।
- पुराने विमान हटेंगे और आधुनिक तकनीक वाले विमान शामिल होंगे।
- भारत की रणनीति अब “क्वालिटी ओवर क्वांटिटी” की है।
- स्वदेशी विमान निर्माण पर ज़ोर बढ़ेगा।
MIG-21 रिटायरमेंट और भावनात्मक जुड़ाव
MiG-21 सिर्फ एक विमान नहीं था, बल्कि यह भारतीय वायुसेना का गौरव भी रहा।
- इसने भारत को दुनिया में सुपरसोनिक जेट क्लब का हिस्सा बनाया।
- हर भारतीय के लिए यह विमान गर्व और दर्द दोनों की कहानी है।
- जब आखिरी बार MiG-21 उड़ेगा, तो वह एक भावुक पल होगा।
MiG-21 ने भारत की वायुसेना को 60 साल तक मजबूती दी। यह जेट हमारी जीत, हमारी हार और हमारे बलिदानों का गवाह रहा। अब जब इसे रिटायर किया जा रहा है, तो यह भारत की वायुसेना के एक युग का अंत और नए युग की शुरुआत है।
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