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आखिर 5 दिन पहले से ही बरसाना-नंदगांव में क्यों मनने लगती है जन्माष्टमी?

On: August 18, 2025 12:15 PM
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Janmashtami Celebration Barsana Nandgaon
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भारत की धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहर इतनी समृद्ध है कि यहाँ हर पर्व केवल कैलेंडर की तारीख भर नहीं होता, बल्कि लोक-भावनाओं और परंपराओं का उत्सव बन जाता है। जन्माष्टमी भी ऐसा ही पर्व है, जो भगवान श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव के रूप में देशभर में धूमधाम से मनाया जाता है। लेकिन मथुरा, बरसाना और नंदगांव की बात ही कुछ और है।

यहाँ खासियत यह है कि जन्माष्टमी से पूरे 5 दिन पहले ही त्यौहार की शुरुआत हो जाती है। गली-गली, मंदिरों और घर-आंगनों में भजन-कीर्तन, झांकियाँ और रास-लीलाएँ शुरू हो जाती हैं। सवाल उठता है कि आखिर ऐसा क्यों होता है? Janmashtami Celebration Barsana Nandgaon


मथुरा: श्रीकृष्ण का जन्मस्थल

जन्माष्टमी की चर्चा बिना मथुरा के अधूरी है।

  • मान्यता है कि भगवान श्रीकृष्ण का जन्म यमुना किनारे कारागार में हुआ था।
  • इसी कारण मथुरा को जन्माष्टमी का सबसे बड़ा तीर्थ स्थल माना जाता है।
  • यहाँ लाखों श्रद्धालु देश-विदेश से आते हैं और जन्मभूमि मंदिर में दर्शन करते हैं।

लेकिन बरसाना और नंदगांव की परंपरा मथुरा से भी अलग है।


बरसाना और नंदगांव का महत्व

  • बरसाना: राधारानी की जन्मभूमि।
  • नंदगांव: नंद बाबा और यशोदा माता का गाँव, जहाँ कृष्ण ने अपना बचपन बिताया।

इन दोनों जगहों पर जन्माष्टमी का पर्व केवल भगवान कृष्ण के जन्म से जुड़ा नहीं है, बल्कि उनके बाल-लीलाओं और रास-परंपराओं से भी गहराई से जुड़ा है।


5 दिन पहले से क्यों शुरू होता है उत्सव?

1. रास-लीला की परंपरा

बरसाना और नंदगांव में जन्माष्टमी की शुरुआत रास-लीला और भजन संध्या से होती है। मान्यता है कि जब श्रीकृष्ण का जन्म पास आता था, तब गाँव में 5 दिन पहले से ही उल्लास का माहौल बनने लगता था।

2. गोस्वामी परंपरा

यहाँ के मंदिरों में गोस्वामी समुदाय हर साल जन्माष्टमी से 5 दिन पहले से अखंड कीर्तन और उत्सव की शुरुआत करता है।

3. गोकुल महोत्सव की कड़ी

नंदगांव में जन्माष्टमी गोकुल महोत्सव से जुड़ी है। मान्यता है कि नंद बाबा ने कृष्ण के जन्म का समाचार मिलने पर 5 दिन पहले से ही तैयारियाँ शुरू कर दी थीं

4. लोक आस्था और आनंद

ग्रामीण संस्कृति में किसी बड़े पर्व की तैयारी पहले से शुरू करने की परंपरा रही है। राधा-कृष्ण की लीलाओं से जुड़े गाँवों में यह परंपरा आज भी जीवित है।


क्या-क्या होता है इन 5 दिनों में?

1. झूलों का उत्सव

बरसाना और नंदगांव के मंदिरों में भगवान को झूलों पर विराजमान किया जाता है। श्रद्धालु फूलों और रंग-बिरंगी रोशनियों से सजे झूलों पर झूला झुलाते हैं।

2. भजन-कीर्तन और अखंड नाम संकीर्तन

मंदिरों और गलियों में भजन गाए जाते हैं – “राधे-राधे” और “श्याम नाम” की ध्वनि हर तरफ गूंजती है।

3. रास-लीला मंचन

स्थानीय कलाकार कृष्ण-राधा की लीलाओं का मंचन करते हैं। विशेष रूप से नंदगांव की रासलीला विश्वभर में प्रसिद्ध है।

4. मटकी फोड़ परंपरा

जन्माष्टमी से पहले ही गोपालक दल मटकी फोड़ कार्यक्रम का आयोजन करते हैं, जैसे कि कृष्ण ने माखन-चोरी की थी।

5. सजावट और झांकियाँ

गाँवों की गलियाँ फूलों और दीपों से सजाई जाती हैं। जगह-जगह कृष्ण-लीला की झांकियाँ निकलती हैं।


श्रद्धालुओं की भीड़

इन 5 दिनों में बरसाना और नंदगांव में देश-विदेश से लाखों श्रद्धालु पहुँचते हैं।

  • भक्त राधा-कृष्ण के भजनों में डूब जाते हैं।
  • विदेशी पर्यटक भी इस आध्यात्मिक वातावरण को देखने आते हैं।
  • पर्यटन और धार्मिक उत्सव का संगम क्षेत्र की अर्थव्यवस्था को भी गति देता है।

सांस्कृतिक और धार्मिक महत्व

बरसाना-नंदगांव की जन्माष्टमी केवल एक त्योहार नहीं बल्कि आस्था, भक्ति और आनंद का संगम है।

  • यहाँ हर व्यक्ति मानता है कि राधा-कृष्ण आज भी उन्हीं गलियों में विचरण करते हैं।
  • 5 दिन पहले से शुरू होने वाला यह उत्सव भक्तों को बताता है कि भगवान के जन्म की खुशी को सीमित न रखकर पूरे समाज में फैलाना चाहिए।

सरकार और प्रशासन की तैयारियाँ

  • यूपी सरकार हर साल बरसाना-नंदगांव में सुरक्षा और यातायात की विशेष व्यवस्था करती है।
  • हेल्थ कैंप, पुलिस बल और CCTV कैमरों की निगरानी रहती है।
  • सांस्कृतिक मंत्रालय भी यहाँ विशेष आयोजन कराता है ताकि विदेशी पर्यटक आकर्षित हों।

सोशल मीडिया पर छाई झलकियाँ

आजकल सोशल मीडिया पर भी बरसाना-नंदगांव की जन्माष्टमी की तस्वीरें और वीडियो वायरल होते हैं।

  • #BarsanaJanmashtami और #NandgaonKrishnaLeela जैसे हैशटैग ट्रेंड करते हैं।
  • इस तरह यह उत्सव डिजिटल दुनिया में भी अपनी धाक जमाता है।

निष्कर्ष

बरसाना और नंदगांव की जन्माष्टमी की सबसे बड़ी खासियत यही है कि यहाँ उत्सव 5 दिन पहले से ही शुरू हो जाता है। यह केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि कृष्ण-भक्ति का जीवंत उत्सव है, जहाँ राधा-कृष्ण की लीलाओं के साथ भक्त प्रेम और उल्लास में डूब जाते हैं।

यही कारण है कि जब भारत के बाकी हिस्सों में जन्माष्टमी का इंतजार होता है, तब मथुरा-बरसाना-नंदगांव में पहले से ही “नंद घर आनंद भयो, जय कन्हैया लाल की” गूंजने लगता है। Janmashtami Celebration Barsana Nandgaon

A. Kumar

मेरा नाम अजीत कुमार है। मैं एक कंटेंट क्रिएटर और ब्लॉगर हूँ, जिसे लिखने और नई-नई जानकारियाँ शेयर करने का शौक है। इस वेबसाइट पर मैं आपको ताज़ा खबरें, मोटिवेशनल आर्टिकल्स, टेक्नोलॉजी, एजुकेशन, हेल्थ और लाइफस्टाइल से जुड़ी उपयोगी जानकारी सरल भाषा में उपलब्ध कराता हूँ।

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