इंस्पेक्टर जेंडे मूवी रिव्यू: मनोज बाजपेयी का अनोखा पुलिसिया अंदाज़
मनोज बाजपेयी का नाम आज हिंदी सिनेमा में संवेदनशील और गंभीर अभिनय के लिए जाना जाता है। उन्होंने “Satya”, “Aligarh” और “The Family Man” जैसी फिल्मों और वेब सीरीज में साबित कर दिया है कि वे किसी भी किरदार में ढल सकते हैं। अब Netflix पर रिलीज हुई फिल्म “Inspector Zende” (रिलीज़ डेट: 5 सितंबर 2025) में उन्होंने एक बार फिर अपने अभिनय का नया रंग दिखाया है।
यह फिल्म सच्ची घटना पर आधारित है, जिसमें मुंबई पुलिस के इंस्पेक्टर माधुकर जेंडे ने कुख्यात अपराधी चार्ल्स शोभराज को पकड़कर इतिहास रच दिया था। कहानी अपराध, रोमांच और हल्के-फुल्के हास्य का मिश्रण है। इस रिव्यू में हम फिल्म की कहानी, अभिनय, निर्देशन, सिनेमाटोग्राफी और दर्शकों के अनुभव पर विस्तार से चर्चा करेंगे।
कहानी (Storyline)
फिल्म की कहानी 1970 और 1980 के दशक में घटित असली घटनाओं पर आधारित है।
- इंस्पेक्टर माधुकर जेंडे (मनोज बाजपेयी) एक ईमानदार, सादगीभरा और लगनशील पुलिस अफसर है।
- उसका सामना होता है अंतरराष्ट्रीय अपराधी चार्ल्स शोभराज से, जो अपनी चतुराई और करिश्मे के कारण “Bikini Killer” कहलाता है।
- शोभराज जेल से फरार हो जाता है और फिर से अपराध की दुनिया में लौटता है।
- जेंडे अपने सीमित संसाधनों और जज्बे के साथ उसे पकड़ने के लिए मिशन पर निकलता है।
कहानी की सबसे बड़ी खूबी यह है कि इसमें रोमांच और हास्य दोनों का संतुलन देखने को मिलता है। दर्शक लगातार सोचते रहते हैं कि अगला कदम क्या होगा, और साथ ही जेंडे की मासूमियत और टीम की कॉमिक टाइमिंग माहौल हल्का रखती है।
निर्देशन (Direction)
फिल्म का निर्देशन चिन्मय मांडलेकर ने किया है। यह उनका निर्देशन डेब्यू है।
- उन्होंने कहानी को ज्यादा गंभीर और डार्क बनाने के बजाय हल्का-फुल्का और दर्शकों से जुड़ने लायक बनाया है।
- पुलिस टीम के छोटे-छोटे पल, मज़ाक, और सामान्य पारिवारिक दृश्य कहानी को और रियलिस्टिक बनाते हैं।
- हालांकि, कहीं-कहीं फिल्म की गति थोड़ी धीमी लगती है और दर्शक को लगता है कि कहानी और कस सकती थी।
कुल मिलाकर निर्देशन सरल, सटीक और मनोरंजक है।
अभिनय (Acting)
मनोज बाजपेयी (Inspector Zende)
- उन्होंने जेंडे को एक साधारण इंसान की तरह निभाया है।
- उनका किरदार न तो एक्शन हीरो है और न ही ओवरड्रामेटिक पुलिस वाला।
- उनके चेहरे के भाव, बॉडी लैंग्वेज और संवाद डिलीवरी इतनी सहज है कि लगता है जैसे वे स्क्रीन पर नहीं, बल्कि असल जिंदगी में पुलिस अफसर हों।
जिम सरभ (Charles Sobhraj)
- जिम सर्भ ने शोभराज के करिश्मे और चालाकी को बेहतरीन तरीके से प्रस्तुत किया है।
- उनका अभिनय फिल्म में रहस्य और तनाव दोनों लाता है।
अन्य कलाकार
- गिरीजा ओक (जेंडे की पत्नी) ने पारिवारिक दृश्यों को गहराई दी है।
- सचिन खेड़ेकर (DGP पुरंधरे) का अभिनय प्रभावशाली है।
- सह कलाकारों की टीम ने फिल्म में कॉमेडी और रियलिज्म का तड़का लगाया है।
सिनेमाटोग्राफी और म्यूजिक
- 1970s और 80s के मुंबई और गोवा का माहौल फिल्म में खूबसूरती से रीक्रिएट किया गया है।
- पुराने जमाने की गालियाँ, कपड़े, गाड़ियाँ और लोकेशन्स दर्शकों को उस दौर में ले जाते हैं।
- बैकग्राउंड म्यूजिक कहानी के रोमांच को और बढ़ाता है।
फिल्म की खूबियाँ (Positives)
- मनोज बाजपेयी का शानदार अभिनय – पूरी फिल्म उन्हीं के कंधों पर टिकी है।
- हल्का-फुल्का अंदाज़ – क्राइम थ्रिलर होते हुए भी फिल्म भारी नहीं लगती।
- रियलिस्टिक सेटअप – 70s-80s का माहौल दर्शकों को असली लगेगा।
- जिम सर्भ का प्रभावशाली विलेन – चार्ल्स शोभराज की चालाकी स्क्रीन पर उभरकर आती है।
- परिवार के साथ देखने लायक फिल्म – इसमें कोई अनावश्यक हिंसा या अश्लीलता नहीं है।
फिल्म की कमियाँ (Negatives)
- कहीं-कहीं फिल्म की गति धीमी हो जाती है।
- कुछ कॉमिक सीन क्लिचे लगते हैं।
- सस्पेंस में थोड़ी और गहराई लाई जा सकती थी।
दर्शक अनुभव
यह फिल्म दर्शकों को मनोरंजन और रोमांच दोनों देती है।
- जो लोग क्राइम थ्रिलर पसंद करते हैं, उन्हें असली घटनाओं पर आधारित कहानी रोचक लगेगी।
- जो दर्शक लाइट मूवी देखना चाहते हैं, उनके लिए भी यह बेहतरीन विकल्प है।
- परिवार के साथ देखने लायक और प्रेरणादायक फिल्म है।
बॉक्स ऑफिस और ओटीटी पर असर
हालांकि फिल्म Netflix पर रिलीज हुई है, लेकिन क्रिटिक्स और दर्शकों की शुरुआती प्रतिक्रियाओं के आधार पर यह फिल्म OTT पर हिट साबित हो सकती है। मनोज बाजपेयी का नाम और शोभराज जैसी कहानी इसे दर्शकों तक पहुंचाने में बड़ी भूमिका निभाएगी। Inspector Zende Review Hindi
निष्कर्ष (Conclusion)
Inspector Zende एक ऐसी फिल्म है जो सच्ची घटना, बेहतरीन अभिनय और हल्के-फुल्के निर्देशन का अच्छा मिश्रण है।
मनोज बाजपेयी का अभिनय इसे और खास बना देता है।
हालांकि कहानी कहीं-कहीं धीमी पड़ती है, लेकिन कुल मिलाकर यह फिल्म दर्शकों को बांधे रखती है।
अगर आप क्राइम थ्रिलर, मनोज बाजपेयी के अभिनय और 70-80 के दौर की कहानियों के शौकीन हैं, तो यह फिल्म आपके लिए जरूर देखने लायक है।
⭐ रेटिंग: 4/5
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