क्या स्पॉन्सर्स के लिए पनौती है टीम इंडिया? ब्लू टी-शर्ट पर जिसका भी नाम आया उसकी बंद हो गई दुकान
भारतीय क्रिकेट टीम यानी टीम इंडिया केवल क्रिकेट ही नहीं बल्कि बिजनेस और मार्केटिंग की दुनिया में भी एक बड़ा ब्रांड है। जब खिलाड़ी मैदान में ब्लू जर्सी पहनकर उतरते हैं, तो करोड़ों आंखें उस पर टिकी होती हैं। यही कारण है कि बड़ी-बड़ी कंपनियां टीम इंडिया की जर्सी पर अपना नाम और लोगो लगाने के लिए करोड़ों रुपये खर्च करती हैं। लेकिन दिलचस्प बात यह है कि कई बार देखा गया है कि जैसे ही किसी कंपनी का नाम ब्लू टी-शर्ट पर आता है, कुछ समय बाद उसकी किस्मत खराब होने लगती है और कंपनी की हालत पतली हो जाती है। यही वजह है कि अब चर्चा होने लगी है कि कहीं टीम इंडिया की जर्सी पर नाम आना स्पॉन्सर्स के लिए पनौती तो नहीं है। Indian Cricket Team Jersey Sponsorship
इस लेख में हम विस्तार से जानेंगे कि आखिर क्यों और कैसे टीम इंडिया की जर्सी पर आने वाले स्पॉन्सर्स को बार-बार नुकसान झेलना पड़ा है। साथ ही इसके पीछे के कारणों और बिजनेस एंगल को भी समझेंगे।
टीम इंडिया की जर्सी पर स्पॉन्सरशिप का महत्व
भारत में क्रिकेट एक धर्म की तरह है और खिलाड़ियों को भगवान की तरह पूजा जाता है। ऐसे में अगर किसी ब्रांड का नाम खिलाड़ियों की जर्सी पर हो, तो उसे अरबों लोगों तक पहुंचने का मौका मिलता है। यही वजह है कि जर्सी स्पॉन्सरशिप सबसे महंगी डील मानी जाती है।
- जर्सी पर लगा लोगो टीवी, अखबार, डिजिटल मीडिया और सोशल मीडिया हर जगह दिखाई देता है।
- लाखों-करोड़ों लोग मैच देखते हुए उस ब्रांड को नोटिस करते हैं।
- यह कंपनियों के लिए सबसे बड़ा मार्केटिंग टूल बन जाता है।
लेकिन इस चमक-दमक के बीच कई कंपनियां बुरी तरह डूब गईं।
जर्सी स्पॉन्सर्स की लिस्ट और उनका पतन
दरअसल, 2001 के बाद से भारतीय क्रिकेट टीम को स्पॉन्सर करने वाली (बीसीसीआई के साथ साझेदारी करने के बाद) हर कंपनी को किसी न किसी तरह के कानूनी या वित्तीय विवाद में फंसते देखा गया है। इस लिस्ट में ड्रीम11 का नया नाम भी जुड़ गया है। ड्रीम11 2023 में भारत का टीम प्रायोजक बना था। वर्तमान में भारत सरकार की ओर से 21 अगस्त को ऑनलाइन गेमिंग बिल 2025 पारित करने के बाद खुद को एक अनिश्चित स्थिति में पा रहा है। दरअसल, नए विधेयक के अनुसार, सभी रियल-मनी गेमिंग ऐप्स पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया गया है।
आइए नज़र डालते हैं कुछ बड़े नामों पर, जिन्होंने टीम इंडिया की जर्सी पर अपना नाम तो लगाया, लेकिन बाद में उनकी हालत खराब हो गई।
1. सहारा (Sahara India)
- समय: 2001 से 2013 तक
- सहारा इंडिया परिवार लंबे समय तक टीम इंडिया का सबसे बड़ा स्पॉन्सर रहा।
- लेकिन धीरे-धीरे सहारा ग्रुप पर आर्थिक संकट और कानूनी मामलों का बोझ बढ़ता गया।
- एक वक्त ऐसा आया कि कंपनी की पहचान सिर्फ कोर्ट केस और निवेशकों के पैसों में फंसी रह गई।
2. स्टार इंडिया (Star India)
- समय: 2014 से 2017 तक
- स्टार इंडिया ने भारी भरकम रकम देकर टीम इंडिया की जर्सी स्पॉन्सरशिप ली।
- हालांकि कंपनी पूरी तरह बंद नहीं हुई, लेकिन डिज़्नी के आने के बाद उसका स्वरूप बदल गया और अब भारतीय बाजार में उसकी पहचान पहले जैसी नहीं रही।
3. ओप्पो (Oppo)
- समय: 2017 से 2019 तक
- ओप्पो ने लगभग 1079 करोड़ रुपये में पांच साल की डील साइन की थी।
- लेकिन कुछ ही साल में कंपनी ने यह डील छोड़ दी और उसकी जगह बायजूज़ (Byju’s) आ गया।
- ओप्पो ने अपनी रणनीति बदली और भारत में क्रिकेट से दूरी बना ली।
4. बायजूज़ (Byju’s)
- समय: 2019 से 2022 तक
- बायजूज़ एक समय भारत की सबसे बड़ी एडटेक कंपनी मानी जाती थी।
- लेकिन जैसे ही उसने टीम इंडिया की जर्सी स्पॉन्सरशिप ली, उसके बिजनेस पर कर्ज का बोझ और घाटे की मार बढ़ने लगी।
- अब हालत यह है कि बायजूज़ अपनी वैल्यूएशन का एक बड़ा हिस्सा खो चुका है और कई देशों में कानूनी परेशानियों से जूझ रहा है। Indian Cricket Team Jersey Sponsorship
5. ड्रीम11 (Dream11) और अन्य स्पॉन्सर्स
- ड्रीम11 और अन्य कई स्टार्टअप्स ने भी टीम इंडिया से जुड़ने की कोशिश की।
- हालांकि वे पूरी तरह बंद नहीं हुए हैं, लेकिन आर्थिक संकट और घाटे की कहानियां यहां भी सामने आई हैं।
- भारत सरकार की ओर से ऑनलाइन गेमिंग बील लाने के बाद ड्रीम11 का भविष्य खतरे में पड़ता दिख रहा है। माना जा रहा है कि यह उसके पतन की शुरुआत है।
क्या वाकई “पनौती” है टीम इंडिया की ब्लू जर्सी?
यह सवाल मज़ाक में जरूर लगता है, लेकिन आंकड़े और घटनाएं कुछ और ही कहती हैं।
- जिन कंपनियों ने टीम इंडिया की जर्सी स्पॉन्सर की, उनमें से कई की हालत खराब हो गई।
- यह पैटर्न इतना स्पष्ट है कि अब लोग इसे “पनौती का टैग” देने लगे हैं।
- हालांकि बिजनेस विशेषज्ञों का मानना है कि इसके पीछे अंधविश्वास से ज्यादा बिजनेस रिस्क और ओवर-एक्सपोजर की भूमिका होती है।
बिजनेस एंगल: क्यों होती है स्पॉन्सर्स की तबाही?
- ज्यादा खर्च, कम फायदा
- जर्सी स्पॉन्सरशिप पर कंपनियां हजारों करोड़ रुपये खर्च कर देती हैं।
- लेकिन बदले में उन्हें उतना फायदा नहीं मिलता जितनी उम्मीद होती है।
- बाजार की अनिश्चितता
- जैसे एडटेक सेक्टर (Byju’s) या मोबाइल कंपनियां (Oppo) बहुत तेजी से बदलते हैं।
- इन कंपनियों ने सोचा था कि क्रिकेट से जुड़कर वे लंबे समय तक टिकेंगी, लेकिन मार्केट की सच्चाई कुछ और थी।
- नेगेटिव पब्लिसिटी
- जब किसी कंपनी की हालत खराब होती है, तो लोग जर्सी स्पॉन्सरशिप को भी उससे जोड़कर देखने लगते हैं।
- इससे एक तरह का “पनौती” वाला टैग और मजबूत हो जाता है।
टीम इंडिया और स्पॉन्सरशिप का भविष्य
अब सवाल यह उठता है कि क्या आने वाले समय में भी कंपनियां टीम इंडिया की जर्सी स्पॉन्सर करने से डरेंगी?
- संभावना है कि बड़ी टेक कंपनियां या ग्लोबल ब्रांड्स ही यह जोखिम उठाएं।
- छोटे और मिड-लेवल ब्रांड्स अब इतनी बड़ी रकम खर्च करने से पहले सौ बार सोचेंगे।
- क्रिकेट का ब्रांड वैल्यू कम नहीं होगा, लेकिन स्पॉन्सर चुनते समय कंपनियां ज्यादा रणनीतिक सोच अपनाएंगी।
क्रिकेट प्रेमियों की राय
सोशल मीडिया पर लोग इस ट्रेंड को लेकर खूब मज़ाक उड़ाते हैं।
- कोई कहता है, “ब्लू जर्सी पर नाम लिखा मतलब कंपनी की विदाई तय है।”
- तो कोई कहता है, “कंपनी बचानी है तो टीम इंडिया से दूरी बनाओ।”
- हालांकि कुछ लोग मानते हैं कि यह सिर्फ संयोग है और बिजनेस की असफलता का जिम्मेदार क्रिकेट को नहीं ठहराया जा सकता।
निष्कर्ष
टीम इंडिया की जर्सी दुनिया की सबसे महंगी मार्केटिंग प्रॉपर्टीज़ में से एक है। लेकिन इतिहास गवाह है कि यहां आने वाले कई स्पॉन्सर्स को भारी नुकसान झेलना पड़ा है। चाहे वह सहारा हो, ओप्पो या बायजूज़ – सभी को किसी न किसी कारण से संकट का सामना करना पड़ा।
तो क्या टीम इंडिया की जर्सी सच में स्पॉन्सर्स के लिए “पनौती” है? यह कहना मुश्किल है। लेकिन इतना तय है कि कंपनियों को अब सिर्फ ब्रांडिंग के नाम पर अरबों रुपये खर्च करने से पहले सोच-समझकर कदम उठाना होगा।
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