Income Tax Return Hindi / इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) 2025-26: नयी जानकारी और पूरी गाइड हिंदी में
भारत में करदाताओं के लिए इनकम टैक्स रिटर्न (Income Tax Return – ITR) दाखिल करना केवल एक कानूनी जिम्मेदारी ही नहीं बल्कि वित्तीय पारदर्शिता का भी प्रतीक है। वित्त वर्ष 2024-25 (Assessment Year 2025-26) के लिए ITR से जुड़ी कई नयी अपडेट्स सामने आई हैं। इनमें डेडलाइन बढ़ना, नये फॉर्म्स और यूटिलिटीज़ जारी होना, सीनियर सिटीज़न्स के लिए विशेष राहत, और Income Tax Act 2025 की अधिसूचना शामिल है।
इस आर्टिकल में हम विस्तार से जानेंगे कि ITR 2025-26 में क्या बदलाव हुए हैं, अंतिम तिथि क्या है, कौन-कौन से फॉर्म उपलब्ध हैं और करदाताओं को किन बातों पर ध्यान देना चाहिए। Income Tax Return Hindi
इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) क्या है?
ITR एक आधिकारिक दस्तावेज़ है जिसके जरिए व्यक्ति या संस्था अपनी कुल आय, टैक्स देनदारी, निवेश पर मिलने वाली छूट और रिफंड की जानकारी सरकार को देती है। यह प्रक्रिया हर साल Income Tax Department की निगरानी में होती है।
नयी जानकारी: ITR 2025-26 से जुड़े ताज़ा अपडेट्स
1. डेडलाइन बढ़कर 15 सितंबर 2025 हुई
पहले गैर-ऑडिट मामलों के लिए ITR फाइल करने की अंतिम तारीख 31 जुलाई 2025 थी, लेकिन सरकार ने इसे बढ़ाकर 15 सितंबर 2025 कर दिया है। इसका फायदा उन करदाताओं को मिलेगा जिन्हें पोर्टल या दस्तावेज़ संबंधी परेशानी का सामना करना पड़ रहा था।
2. अपडेटेड Excel Utilities और नए फॉर्म्स
आयकर विभाग ने ITR-5, ITR-6 और ITR-7 के लिए नई Excel Utilities जारी की हैं, जो Finance Act 2025 के प्रावधानों के अनुरूप हैं। साथ ही ITR-1 और ITR-4 के फॉर्म भी पोर्टल पर उपलब्ध हैं। Income Tax Return Hindi
3. ITR-U (Updated Return) की सुविधा
यदि किसी करदाता ने रिटर्न दाखिल करते समय कोई गलती की है, तो अब वह ITR-U (Updated Return) के जरिए उसे सुधार सकता है। यह नया विकल्प करदाताओं को पारदर्शिता और लचीलापन देता है।
4. सीनियर सिटीज़न्स के लिए नई राहतें
- 60 से 80 वर्ष की आयु वाले (Senior Citizens) के लिए कर-मुक्त सीमा ₹3 लाख है।
- 80 वर्ष से ऊपर (Super Senior Citizens) के लिए कर-मुक्त सीमा ₹5 लाख है।
- पेंशन और ब्याज आय वालों के लिए कुछ मामलों में ITR दाखिल करना अनिवार्य नहीं है, यदि आय कर-मुक्त सीमा के भीतर है।
5. Income Tax Act 2025 अधिसूचित
सरकार ने नया Income Tax Act 2025 अधिसूचित कर दिया है, जो 1 अप्रैल 2026 से लागू होगा। यह पुराने 1961 आयकर कानून को बदल देगा और कर प्रशासन को आधुनिक बनाएगा।
6. लेट फाइलिंग पर पेनल्टी
- 15 सितंबर 2025 के बाद ITR फाइल करने पर ₹1,000 से ₹5,000 तक पेनल्टी लगेगी।
- जिनकी आय ₹5 लाख से कम है, उनकी अधिकतम पेनल्टी ₹1,000 रहेगी।
ITR दाखिल करने की पात्रता (Eligibility)
- 60 वर्ष से कम उम्र: ₹2.5 लाख से अधिक आय पर ITR जरूरी।
- सीनियर सिटीज़न (60-80 वर्ष): ₹3 लाख से अधिक आय पर ITR जरूरी।
- सुपर सीनियर सिटीज़न (80 वर्ष से ऊपर): ₹5 लाख से अधिक आय पर ITR जरूरी।
ITR दाखिल करने की प्रक्रिया
- incometax.gov.in पोर्टल पर लॉगिन करें।
- अपनी प्रोफाइल के अनुसार सही ITR फॉर्म चुनें।
- आय, खर्च, निवेश और टैक्स विवरण भरें।
- टैक्स की गणना स्वतः हो जाएगी।
- ई-वेरिफिकेशन करें (आधार OTP/नेटबैंकिंग से)।
ITR फॉर्म्स के प्रकार
- ITR-1 (सहज): वेतनभोगी, पेंशनभोगी और ₹50 लाख तक की आय वाले।
- ITR-2: वेतन के अलावा कैपिटल गेन, विदेशी संपत्ति या किराया आय वाले।
- ITR-3: व्यवसाय/प्रोफेशन से आय वालों के लिए।
- ITR-4 (सुगम): छोटे व्यापारियों और फ्रीलांसरों के लिए।
- ITR-5, 6, 7: कंपनियों, LLPs और ट्रस्टों के लिए।
इनकम टैक्स स्लैब 2025-26
पुरानी टैक्स व्यवस्था (Old Regime)
- ₹2.5 लाख तक – शून्य
- ₹2.5 से 5 लाख – 5%
- ₹5 से 10 लाख – 20%
- ₹10 लाख से ऊपर – 30%
नयी टैक्स व्यवस्था (New Regime 2025-26)
- ₹3 लाख तक – शून्य
- ₹3 से 6 लाख – 5%
- ₹6 से 9 लाख – 10%
- ₹9 से 12 लाख – 15%
- ₹12 से 15 लाख – 20%
- ₹15 लाख से ऊपर – 30%
ITR दाखिल करने के फायदे
- लोन और वीजा आवेदन में आसानी
- टैक्स रिफंड का लाभ
- निवेश पर टैक्स छूट का दावा
- वित्तीय साख मजबूत करना
- सरकारी योजनाओं का लाभ
लेट ITR फाइल करने के नुकसान
- पेनल्टी और ब्याज देना पड़ सकता है।
- रिफंड का नुकसान होगा।
- लोन/वीजा में समस्या आ सकती है।
- टैक्स विभाग जांच शुरू कर सकता है।
निष्कर्ष
इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) 2025-26 में कई नयी अपडेट्स आए हैं जो करदाताओं के लिए राहत और सुविधा दोनों लाते हैं। डेडलाइन 15 सितंबर 2025 तक बढ़ी है, नए फॉर्म्स जारी हुए हैं और ITR-U के जरिए करदाता गलती सुधार सकते हैं।
हर करदाता को चाहिए कि वह समय पर, सही फॉर्म के साथ और सभी दस्तावेज़ों की सटीक जानकारी देकर ITR दाखिल करे। इससे न केवल कानूनी जिम्मेदारी पूरी होगी बल्कि वित्तीय भविष्य भी सुरक्षित होगा।
इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) से जुड़े सामान्य प्रश्न
1. ITR 2025-26 की अंतिम तिथि क्या है?
गैर-ऑडिट मामलों के लिए अंतिम तिथि 15 सितंबर 2025 है।
2. क्या ITR-U हर कोई फाइल कर सकता है?
हाँ, जिनसे ITR फाइलिंग में गलती हुई है, वे ITR-U के जरिए अपडेटेड रिटर्न दाखिल कर सकते हैं।
3. लेट ITR फाइल करने पर कितनी पेनल्टी लगेगी?
₹5 लाख से ऊपर आय वालों को ₹5,000 तक और ₹5 लाख से कम आय वालों को ₹1,000 तक पेनल्टी लगेगी।
4. सीनियर सिटीज़न्स को कौन सी राहत मिली है?
सीनियर सिटीज़न्स को ऊँची कर-मुक्त सीमा और कुछ मामलों में ITR से छूट मिली है।
5. नया Income Tax Act कब लागू होगा?
Income Tax Act 2025 को 1 अप्रैल 2026 से लागू किया जाएगा। Income Tax Return Hindi
6. ITR क्या है और क्यों जरूरी है?
ITR (Income Tax Return) एक ऐसा दस्तावेज है जिसमें आप अपनी आय और उस पर चुकाए गए टैक्स की जानकारी सरकार को देते हैं। यह जरूरी है ताकि सरकार आपकी आय और टैक्स भुगतान की पारदर्शिता रख सके।
7. ITR फाइल करने की आखिरी तारीख 2025 में कब है?
आकलन वर्ष 2025-26 (वित्त वर्ष 2024-25) के लिए ITR फाइल करने की आखिरी तारीख 31 जुलाई 2025 है। हालाँकि, सरकार स्थिति के अनुसार इसे आगे भी बढ़ा सकती है।
8. किन लोगों को ITR फाइल करना अनिवार्य है?
- जिनकी आय टैक्सेबल सीमा (₹2.5 लाख से अधिक) है।
- जिन्होंने TDS कटवाया है।
- जिनके पास बिज़नेस या फ्रीलांस इनकम है।
- जिनके पास विदेशी संपत्ति या बैंक खाता है।
- जिनकी आय ₹50 लाख से अधिक है और उन्हें एसेट्स व लायबिलिटी की जानकारी देनी है।
9. ITR फाइल करने के क्या फायदे हैं?
- टैक्स रिफंड आसानी से मिलता है।
- लोन और क्रेडिट कार्ड के लिए ITR जरूरी है।
- विदेश यात्रा या वीज़ा प्रोसेस में ITR काम आता है।
- भविष्य में वित्तीय स्थिरता और टैक्स कंप्लायंस साबित करने के लिए मददगार है।
10. ITR कैसे फाइल करें?
आप Income Tax e-Filing Portal पर जाकर लॉगिन करके ITR फाइल कर सकते हैं। इसके अलावा आप किसी टैक्स कंसल्टेंट की मदद भी ले सकते हैं।
11. ITR फाइल न करने पर क्या पेनल्टी है?
अगर आप समय पर ITR फाइल नहीं करते हैं तो ₹5,000 तक का जुर्माना लग सकता है। साथ ही, अगर टैक्स बकाया है तो उस पर ब्याज भी देना होगा।
12. 2025 में ITR फाइलिंग प्रोसेस में क्या नया बदलाव आया है?
CBDT ने ITR फॉर्म्स को और सरल बनाया है। अब ई-वेरिफिकेशन प्रोसेस और तेज़ हो गया है और अधिकांश डेटा पहले से ही प्री-फिल्ड मिलता है। इससे करदाताओं को आसानी होती है।